1 to 50 Sanskrit Numbers (1 to 50 संस्कृत अंक)

Advertisement Image

संस्कृत, एक भाषा है जो हमारे समृद्ध धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है। यह भाषा न केवल भारतीय भूमि पर बल्कि पूरे विश्व में भी महत्वपूर्ण है। संस्कृत के अंक हमारे सांस्कृतिक धन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जिन्हें हमें समझने की आवश्यकता है। इस लेख में, हम आपको 1 से 50 तक संस्कृत अंकों (1 to 50 Sanskrit Numbers) कैसे लिखा जाता है यह बताएँगे।

Table of Contents

1 to 50 Sanskrit Numbers (1 to 50 संस्कृत अंक)

संस्कृत भाषा का गौरव दुनिया भर में जाना जाता है। यह विशेषत: उपनिषदों, वेदों, और पुराणों की भाषा है और धर्म, दर्शन, और साहित्य की अमूल्य धरोहर को संजीवनी देती है। इसके साथ ही, संस्कृत भाषा में अंकों का भी महत्वपूर्ण स्थान है, और यहां हम आपको 1 से 50 तक के संस्कृत अंकों (1 to 50 Sanskrit Numbers) का एक आदर्श यात्रा प्रस्तुत करते हैं, जो आंखों में चमक और दिल की धड़कन बना सकते हैं।

Read our Other Articles

One— एकम् —१

Two— द्वे —२

Three— त्रीणि—३

Four— चत्वारि —४

Five— पञ्च—५

Six— षट् —६

Seven— सप्त —

Eight —अष्ट —८

Nine —नव —९

Ten— दश —१॰

Eleven— एकादश —११

Twelve— द्वादश—१२

Thirteen— त्रयोदश—१३

Fourteen —चतुर्दश—१४

Fifteen— पञ्चदश—१५

Sixteen— षोडश—१६

Seventeen— सप्तदश—१७

Eighteen— अष्टादश—१८

Nineteen —नवदश—१९

Twenty— विंशतिः—२॰

Twenty one— एकविंशतिः—२१

Twenty two— द्वाविंशतिः—२२

Twenty three— त्रयोविंशतिः—२३

Twenty four —चतुर्विंशतिः—२४

Twenty five— पञ्चविंशतिः—२५

Twenty six —षड्विंशतिः—२६

Twenty seven— सप्तविंशतिः—२७

Twenty eight —अष्टाविंशतिः—२८

Twenty nine— नवविंशतिः—२९

Thirty— त्रिंशत्—३॰

Thirty one— एकत्रिंशत्—३१

Thirty two —द्वात्रिंशत्—३२

Thirty three— त्रयस्त्रिंशत्—३३

Thirty four —चतुस्त्रिंशत्—३४

Thirty five —पञ्चत्रिंशत्—३४

Thirty six— षट्त्रिंशत्—३६

Thirty seven— सप्तत्रिंशत्—३७

Thirty eight —अष्टत्रिंशत्—३८

Thirty nine —नवत्रिंशत्—३९

Forty— चत्वारिंशत्—४॰

Forty one— एकचत्वारिंशत्—४१

Forty two— द्विचत्वारिंशत्—४२

Forty three —त्रिचत्वारिंशत्—४३

Forty four— चतुश्चत्वारिंशत्—४४

Forty five —पञ्चचत्वारिंशत्—४५

Forty six— षट्चत्वारिंशत्—४६

Forty seven— सप्तचत्वारिंशत्—४७

Forty eight— अष्टचत्वारिंशत्—४८

Forty nine— नवचत्वारिंशत्—४९

Fifty— पञ्चाशत्—५॰

मूल संस्कृत अंक – 1 से 10 (Basic Sanskrit Numbers – 1 to 10)

1 – एकः (Ekah)

संस्कृत में ‘1’ को ‘एकः’ कहा जाता है। यह अंक न केवल एकाई का प्रतीक है, बल्कि यह हमें एकता की महत्वपूर्ण शिक्षा देता है।

2 – द्वौ (Dvau)

‘2’ को संस्कृत में ‘द्वौ’ कहा जाता है। इससे हमें जोड़ने और एक साथ आने की महत्वपूर्ण क्षमता सिखाई जाती है।

3 – त्रयः (Trayah)

संस्कृत में ‘3’ को ‘त्रयः’ कहा जाता है। यह अंक हमें जीवन में संतुलन की आवश्यकता के महत्व को सिखाता है।

4 – चत्वारः (Chatvarah)

‘4’ को संस्कृत में ‘चत्वारः’ कहा जाता है। यह अंक हमें धर्म, अर्थ, काम, और मोक्ष के चार मुख्य लक्ष्यों के प्रति जागरूक करता है।

5 – पञ्च (Pancha)

‘5’ को संस्कृत में ‘पञ्च’ कहा जाता है। इससे हमें पांच महत्वपूर्ण तत्वों के साथ हमारे जीवन का संघटन समझने में मदद मिलती है।

6 – षट् (Shat)

‘6’ को संस्कृत में ‘षट्’ कहा जाता है। यह अंक हमें कुशलता और साहस के महत्व को जानने का अवसर देता है।

7 – सप्त (Sapta)

‘7’ को संस्कृत में ‘सप्त’ कहा जाता है। इस अंक से हमें सप्तग्राम और सप्तर्षि के महत्व की जानकारी मिलती है।

8 – अष्ट (Ashta)

‘8’ को संस्कृत में ‘अष्ट’ कहा जाता है। यह अंक हमें आठ प्रकार के समृद्धि के प्रति जागरूक करता है।

9 – नव (Nava)

‘9’ को संस्कृत में ‘नव’ कहा जाता है। इस अंक से हमें नौकार्य और नौ रास्तों के सिद्धांत की समझ मिलती है।

10 – दश (Dasha)

’10’ को संस्कृत में ‘दश’ कहा जाता है। यह अंक हमें पूर्णता और सम्पूर्णता के महत्व को सिखाता है।

11 से 20 – एकादश से वीस

11 – एकादश (Ekadash)

’11’ को संस्कृत में ‘एकादश’ कहा जाता है। इस अंक से हमें अद्वितीयता के महत्व को समझाया जाता है, क्योंकि यह अंक पूर्णता के बाद आता है।

12 – द्वादश (Dvadash)

’12’ को संस्कृत में ‘द्वादश’ कहा जाता है। इस अंक से हमें द्वादशी तिथि के महत्व को समझाया जाता है, जो अनुष्ठान और आचरण के लिए महत्वपूर्ण है।

13 – त्रयोदश (Trayodash)

’13’ को संस्कृत में ‘त्रयोदश’ कहा जाता है। इस अंक से हमें त्रयोदशी तिथि के महत्व को समझाया जाता है, जो देवी पूजा और व्रत के लिए महत्वपूर्ण होती है।

14 – चतुर्दश (Chaturdash)

’14’ को संस्कृत में ‘चतुर्दश’ कहा जाता है। इस अंक से हमें चतुर्दशी तिथि के महत्व को समझाया जाता है, जिसे अन्त्येष्टि और श्राद्ध के रूप में मनाया जाता है।

15 – पञ्चदश (Panchadash)

’15’ को संस्कृत में ‘पञ्चदश’ कहा जाता है। इस अंक से हमें पञ्चदशी तिथि के महत्व को समझाया जाता है, जिसे कामरूप नवरात्रि के रूप में मनाया जाता है।

16 – षोडश (Shodash)

’16’ को संस्कृत में ‘षोडश’ कहा जाता है। इस अंक से हमें षोडशी तिथि के महत्व को समझाया जाता है, जिसे हिन्दू धर्म में विवाह समारोह के रूप में मनाया जाता है।

17 – सप्तदश (Saptadash)

’17’ को संस्कृत में ‘सप्तदश’ कहा जाता है। इस अंक से हमें सप्तदशी तिथि के महत्व को समझाया जाता है, जो दुर्गा पूजा के रूप में मनाई जाती है।

18 – अष्टादश (Ashtadash)

’18’ को संस्कृत में ‘अष्टादश’ कहा जाता है। इस अंक से हमें अष्टादशी तिथि के महत्व को समझाया जाता है, जो श्रीराम नवमी के रूप में मनाई जाती है।

19 – एकोनविंशति (Ekonavimshati)

’19’ को संस्कृत में ‘एकोनविंशति’ कहा जाता है। इस अंक से हमें एकोनविंशति तिथि के महत्व को समझाया जाता है, जो दुर्गा अष्टमी के रूप में मनाई जाती है।

20 –

विंशति (Vimshati)
’20’ को संस्कृत में ‘विंशति’ कहा जाता है। इस अंक से हमें विंशति तिथि के महत्व को समझाया जाता है, जो हनुमान जयंती के रूप में मनाई जाती है।

21 से 30 – एकत्रिंशति से त्रेतालीस

21 – एकत्रिंशति (Ekatrimshati)

’21’ को संस्कृत में ‘एकत्रिंशति’ कहा जाता है। इस अंक से हमें एकत्रिंशति तिथि के महत्व को समझाया जाता है, जो गणेश चतुर्थी के रूप में मनाई जाती है।

22 – बाविंशति (Bavimshati)

’22’ को संस्कृत में ‘बाविंशति’ कहा जाता है। इस अंक से हमें बाविंशति तिथि के महत्व को समझाया जाता है, जो कृष्ण अष्टमी के रूप में मनाई जाती है।

23 – त्रयोविंशति (Trayovimshati)

’23’ को संस्कृत में ‘त्रयोविंशति’ कहा जाता है। इस अंक से हमें त्रयोविंशति तिथि के महत्व को समझाया जाता है, जिसे अक्षय तृतीया के रूप में मनाया जाता है।

24 – चतुर्विंशति (Chaturvimshati)

’24’ को संस्कृत में ‘चतुर्विंशति’ कहा जाता है। इस अंक से हमें चतुर्विंशति तिथि के महत्व को समझाया जाता है, जो यम द्वितीया के रूप में मनाई जाती है।

25 – पञ्चविंशति (Panchavimshati)

’25’ को संस्कृत में ‘पञ्चविंशति’ कहा जाता है। इस अंक से हमें पञ्चविंशति तिथि के महत्व को समझाया जाता है, जो अक्षय नवमी के रूप में मनाई जाती है।

26 – षट्विंशति (Shatvimshati)

’26’ को संस्कृत में ‘षट्विंशति’ कहा जाता है। इस अंक से हमें षट्विंशति तिथि के महत्व को समझाया जाता है, जिसे बसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है।

27 – सप्तविंशति (Saptavimshati)

’27’ को संस्कृत में ‘सप्तविंशति’ कहा जाता है। इस अंक से हमें सप्तविंशति तिथि के महत्व को समझाया जाता है, जो महाशिवरात्रि के रूप में मनाई जाती है।

28 – अष्टाविंशति (Ashtavimshati)

’28’ को संस्कृत में ‘अष्टाविंशति’ कहा जाता है। इस अंक से हमें अष्टाविंशति तिथि के महत्व को समझाया जाता है, जो अन्नकूट पूजा के रूप में मनाई जाती है।

29 – एकोनत्रिंशति (Ekonatrimshati)

’29’ को संस्कृत में

‘एकोनत्रिंशति’ कहा जाता है। इस अंक से हमें एकोनत्रिंशति तिथि के महत्व को समझाया जाता है, जो महाशिवरात्रि के बाद की तिथि के रूप में मनाई जाती है।

30 – त्रिंशति (Trimshati)

’30’ को संस्कृत में ‘त्रिंशति’ कहा जाता है। इस अंक से हमें त्रिंशति तिथि के महत्व को समझाया जाता है, जो नरसिंह जयंती के रूप में मनाई जाती है।

31 से 40 – एकत्रिंशति से चत्वारीम्शति

31 – एकत्रिंशति (Ekatrimshati)

’31’ को संस्कृत में ‘एकत्रिंशति’ कहा जाता है। इस अंक से हमें एकत्रिंशति तिथि के महत्व को समझाया जाता है, जो गुरू पूर्णिमा के रूप में मनाई जाती है।

32 – द्वात्रिंशति (Dvatrimshati)

’32’ को संस्कृत में ‘द्वात्रिंशति’ कहा जाता है। इस अंक से हमें द्वात्रिंशति तिथि के महत्व को समझाया जाता है, जो अष्टमी और नवमी के बीच के दिन के रूप में मनाई जाती है।

33 – त्रयोत्रिंशति (Trayotrimshati)

’33’ को संस्कृत में ‘त्रयोत्रिंशति’ कहा जाता है। इस अंक से हमें त्रयोत्रिंशति तिथि के महत्व को समझाया जाता है, जो श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाई जाती है।

34 – चतुस्त्रिंशति (Chatustrimshati)

’34’ को संस्कृत में ‘चतुस्त्रिंशति’ कहा जाता है। इस अंक से हमें चतुस्त्रिंशति तिथि के महत्व को समझाया जाता है, जो दुर्गा पूजा के रूप में मनाई जाती है।

35 – पञ्चत्रिंशति (Panchatrimshati)

’35’ को संस्कृत में ‘पञ्चत्रिंशति’ कहा जाता है। इस अंक से हमें पञ्चत्रिंशति तिथि के महत्व को समझाया जाता है, जो महानवमी के रूप में मनाई जाती है।

36 – षट्त्रिंशति (Shattrimshati)

’36’ को संस्कृत में ‘षट्त्रिंशति’ कहा जाता है। इस अंक से हमें षट्त्रिंशति तिथि के महत्व को समझाया जाता है, जो दीपावली के रूप में मनाई जाती है।

37 – सप्तत्रिंशति (Saptatrimshati)

’37’ को संस्कृत में ‘सप्तत्रिंशति’ कहा जाता है। इस अंक से हमें सप्तत्रिंशति तिथि के महत्व को समझाया जाता है, जो मकर संक्रांति के रूप में मनाई जाती है।

38 – अष्टात्रिंशति (Ashtatrimshati)

’38’ को संस्कृत में ‘

अष्टात्रिंशति’ कहा जाता है। इस अंक से हमें अष्टात्रिंशति तिथि के महत्व को समझाया जाता है, जो होली के रूप में मनाई जाती है।

39 – एकोनचत्वारिंशति (Ekonachatvarimshati)

’39’ को संस्कृत में ‘एकोनचत्वारिंशति’ कहा जाता है। इस अंक से हमें एकोनचत्वारिंशति तिथि के महत्व को समझाया जाता है, जो विजयदशमी के रूप में मनाई जाती है।

40 – चत्वारिंशति (Chatvarimshati)

’40’ को संस्कृत में ‘चत्वारिंशति’ कहा जाता है। इस अंक से हमें चत्वारिंशति तिथि के महत्व को समझाया जाता है, जो करवा चौथ के रूप में मनाई जाती है।

41 से 50 – एकान्नपञ्चाशति से पञ्चाशति

41 – एकान्नपञ्चाशति (Ekanapanchashati)

’41’ को संस्कृत में ‘एकान्नपञ्चाशति’ कहा जाता है। इस अंक से हमें एकान्नपञ्चाशति तिथि के महत्व को समझाया जाता है, जो कार्तिक पूर्णिमा के रूप में मनाई जाती है।

42 – द्वान्नपञ्चाशति (Dvanapanchashati)

’42’ को संस्कृत में ‘द्वान्नपञ्चाशति’ कहा जाता है। इस अंक से हमें द्वान्नपञ्चाशति तिथि के महत्व को समझाया जाता है, जो आषाढ़ी पूर्णिमा के रूप में मनाई जाती है।

43 – त्रयोन्नपञ्चाशति (Trayonnapanchashati)

’43’ को संस्कृत में ‘त्रयोन्नपञ्चाशति’ कहा जाता है। इस अंक से हमें त्रयोन्नपञ्चाशति तिथि के महत्व को समझाया जाता है, जो वत्सपंचमी के रूप में मनाई जाती है।

44 – चतुरन्नपञ्चाशति (Chaturannapanchashati)

’44’ को संस्कृत में ‘चतुरन्नपञ्चाशति’ कहा जाता है। इस अंक से हमें चतुरन्नपञ्चाशति तिथि के महत्व को समझाया जाता है, जो आशाढ़ी एकादशी के रूप में मनाई जाती है।

45 – पञ्चन्नपञ्चाशति (Panchannapanchashati)

’45’ को संस्कृत में ‘पञ्चन्नपञ्चाशति’ कहा जाता है। इस अंक से हमें पञ्चन्नपञ्चाशति तिथि के महत्व को समझाया जाता है, जो काजी आक्बरी जयंती के रूप में मनाई जाती है।

46 – षट्पञ्चाशति (Shatpanchashati)

’46’ को संस्कृत में ‘षट्पञ्चाशति’ कहा जाता है। इस अंक से हमें षट्पञ्चाशति तिथि के महत्व को समझाया जाता है, ज

ो दिवाली के बाद की तिथि के रूप में मनाई जाती है।

47 – सप्तपञ्चाशति (Saptapanchashati)

’47’ को संस्कृत में ‘सप्तपञ्चाशति’ कहा जाता है। इस अंक से हमें सप्तपञ्चाशति तिथि के महत्व को समझाया जाता है, जो करवा चौथ के बाद की तिथि के रूप में मनाई जाती है।

48 – अष्टापञ्चाशति (Ashtapanchashati)

’48’ को संस्कृत में ‘अष्टापञ्चाशति’ कहा जाता है। इस अंक से हमें अष्टापञ्चाशति तिथि के महत्व को समझाया जाता है, जो रक्षा बंधन के रूप में मनाई जाती है।

49 – एकोनपञ्चाशति (Ekonapanchashati)

’49’ को संस्कृत में ‘एकोनपञ्चाशति’ कहा जाता है। इस अंक से हमें एकोनपञ्चाशति तिथि के महत्व को समझाया जाता है, जो भैया दूज के रूप में मनाई जाती है।

50 – पञ्चाशति (Panchashati)

’50’ को संस्कृत में ‘पञ्चाशति’ कहा जाता है। इस अंक से हमें पञ्चाशति तिथि के महत्व को समझाया जाता है, जो कर्तिक मास की पूर्णिमा के बाद की तिथि के रूप में मनाई जाती है।

निष्कर्ष

इस लेख में, हमने 1 से 50 तक संस्कृत में गिनती (1 to 50 Sanskrit Numbers) के अंकों का वर्णन किया है और उनके महत्व को समझाया है। ये अंक हमारे जीवन में विभिन्न रूपों में महत्वपूर्ण होते हैं और हमें धार्मिक और सामाजिक तिथियों का पालन करने के लिए दिशा देते हैं। आपके लिए ये अंक क्या महत्वपूर्ण हैं, इस पर निर्भर करता है कि आपके जीवन के किसी विशेष पहलू को कितना महत्व देते हैं।

Leave a Comment