बिलकिस बानो गैंगरेप (Bilkis Bano Gangrape) केस में सजा सुनाई गई थी 11 दोषियों को. सजा थी उम्र भर कारावास की. इस घटना को बीत चुके 10 साल हो चुके हैं. 10 साल तक दोषियों ने तो जेल के दीवारों के पीछे अपना जिंदगी गुजारी। पर दुख की बात यह है आज 10 साल बाद जो घाव बिलकिस बानो के शरीर में लगा था, वह घाव अभी तक सुखा नहीं, और ना कभी भी सीखेगा।
बिलकिस बानो गैंगरेप केस
बिलकिस बानो गैंगरेप में पाए गए 11 आरोपी को छोड़ दिया गया. 10 साल पहले जज ने फैसला सुना दिया था कि इस 11 दोषियों को उम्र कैद की सजा दी गई है. पर गुजरात सरकार ने इन आरोपियों को इज्जत बली कर दी है. बस इतना ही नहीं जेल से निकलने के बाद उन 11 आरोपियों को माला भी पहनाया गया. और इसीलिए यह बता बड़े पैमाने पर एक सामाजिक मुद्दा बन के खड़ी हो चुकी है.
2002 का यह मामला की जजमेंट होते होते ऐसे भी बहुत साल गुजर गए थे. बिलकिस बानो मामले को सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद 2004 में गुजरात से मुंबई ट्रांसफर कर दिया गया था. इसके बाद, 2008 में मुंबई सिटी सिविल एंड सेशन कोर्ट में बिलकिस बानो गैंगरेप मामले की सुनवाई चल रही थी. जस्टिस साल्वी ने ही दोषियों को सजा सुनाई थी.
जस्टिस साल्वी अभी के रिटायर्ड जज है. भारत सरकार के इस फैसले को सुनते हुए उन्होंने कहा, ” माफी देने के लिए गाइडलाइंस बनी हुई है, और यह गाइडलाइंस सरकार खुद बनाती है. और इसके ऊपर ऊंट का भी फैसला होना चाहिए.”
इस चर्चा को उठाती हुई आईएएस ऑफिसर स्मिता सभरवाल ने कहा है, ” बिलकिस बानो के आजाद सांस लेने के अधिकार को छीनने के बाद खुद को स्वतंत्र राष्ट्र के नागरिक नहीं बोल सकते हैं”
अभी तक यह साफ नहीं हुआ है कि सरकार ने क्यों इन 11 दोषियों को बाइज्जत बली की. बिलकिस बानो का कहना है 11 दोषियों हिंदू थे और इसीलिए शायद उन्हें बाइज्जत बरी किया गया है. यह जो भी हो आपको क्या लगता है, जहां जज ने उम्र भर कारावास की सजा सुना दी थी, वहां पर सरकार का यह कदम लेना सही हुआ है?
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