मूल्‍यांकन क्या है? मूल्‍यांकन के प्रकार Mulyankan ke prakar

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मूल्यांकन ( Mulyankan) के बारे में जानकारी का होना अहम होता है क्योंकि यह संगठनों और संस्थाओं के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है जो उन्हें उनकी संगठनात्मक लक्ष्यों को प्राप्त करने और साधनों को संचालित करने में मदद करता है। आज इस लेख मे हम मूल्‍यांकन केया है | Mulyankan kya hai? मूल्‍यांकन के प्रकार Mulyankan ke prakar के बारे मे बात करेंगे (types of evaluation in hindi)।

मूल्यांकन एक महत्वपूर्ण उपकरण है जो किसी चीज़ की मान्यता या उपयोगिता का मूल्यांकन करता है। इस प्रक्रिया का उपयोग अलग-अलग क्षेत्रों में किया जाता है जैसे शिक्षा, व्यापार, सरकारी संस्थान आदि।

मूल्यांकन क्या है? Mulyankan kya hai?

मूल्यांकन एक प्रक्रिया है जिसका उद्देश्य किसी वस्तु, सेवा, व्यक्ति, या संगठन की मूल्य की गणना करना होता है। यह मूल्य की गणना करने के लिए विभिन्न मापदंडों का उपयोग करता है, जिसमें विशेषताओं, गुणवत्ता, प्रदर्शन, उपयोगिता, उत्पादकता, या किसी अन्य मापदंड का मूल्यांकन किया जाता है।

इसका उपयोग व्यापक रूप से व्यवसाय, शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक क्षेत्रों में किया जाता है। उदाहरण के लिए, एक कंपनी अपने उत्पादों की गुणवत्ता और उपयोगिता का मूल्यांकन करती है ताकि वह अपने उत्पादों की मूल्य निर्धारित कर सके। इसी तरह, शिक्षा क्षेत्र में शिक्षा के प्रभाव और अधिकारिता का मूल्यांकन किया जाता है ताकि शिक्षा के निर्देशक नीतियों और कार्यक्रमों को संशोधित कर सकें।

मूल्यांकन की परिभाषा | Mulyankan ki paribhasha

मूल्यांकन का अर्थ होता है किसी चीज़ की मूल्य की मापना या तय करना। इसका उद्देश्य होता है किसी वस्तु, सेवा, व्यक्ति या संगठन की महत्ता या मूल्य को मापने के लिए उपयोग किया जाता है। यह मापदंडों का उपयोग करता हुआ किसी चीज़ की गुणवत्ता, प्रदर्शन, उपयोगिता, उत्पादकता या किसी अन्य मापदंड का मूल्यांकन करने के लिए किया जाता है। इस प्रक्रिया का उपयोग व्यापक रूप से व्यवसाय, शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक क्षेत्रों में किया जाता है।

मूल्यांकन की अवधारणा

मूल्यांकन एक प्रक्रिया है जिसमें एक वस्तु, सेवा, व्यक्ति या संगठन की महत्ता या मूल्य को मापा जाता है। यह मापदंडों का उपयोग करता है जो किसी चीज़ की गुणवत्ता, प्रदर्शन, उपयोगिता, उत्पादकता या किसी अन्य मापदंड का मूल्यांकन करने के लिए किया जाता है।

मूल्यांकन व्यवसाय, शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक क्षेत्रों में उपयोग किया जाता है। यह विभिन्न उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाता है जैसे कि निवेश के लिए विभिन्न विकल्पों की मूल्यांकन, उत्पादकता का मूल्यांकन, शिक्षा के मानकों के लिए मूल्यांकन आदि।

मूल्यांकन का महत्वपूर्ण अंश होता है कि इससे व्यक्ति, संगठन या समाज को उपलब्ध विकल्पों के बीच अंतर्निहित मूल्यों का अनुमान लगाने में मदद मिलती है।

मूल्यांकन की विशेषताएं

मूल्यांकन की विशेषताएं निम्नलिखित होती हैं:

  1. मापन: मूल्यांकन का मुख्य उद्देश्य किसी उत्पाद या सेवा के मूल्य को मापना होता है।
  2. मानदंड: मूल्यांकन मानदंडों पर आधारित होता है, जो विभिन्न मूल्यांकन विधियों के अनुसार अलग-अलग होते हैं।
  3. उपयोगकर्ता के मानदंड: उपयोगकर्ता के मानदंड भी मूल्यांकन के लिए उपयोग किए जाते हैं। जब तक एक उपभोक्ता उत्पाद या सेवा के मूल्य को अपने लिए मापने के लिए नहीं इच्छुक होता है, वह उत्पाद या सेवा खरीदने से पहले इसके मूल्य के बारे में जानकारी प्राप्त करता है।
  4. बाहरी मूल्यांकन: मूल्यांकन का एक प्रकार बाहरी मूल्यांकन होता है, जो विभिन्न संगठनों द्वारा आयोजित किए जाते हैं।
  5. उत्पाद या सेवा की गुणवत्ता: मूल्यांकन एक उत्पाद या सेवा की गुणवत्ता के अनुसार भी होता है।
  6. विवेचना: मूल्यांकन एक विवेचना की तरह काम करता है, जो उत्पाद या सेवा की विभिन्न विश

मूल्‍यांकन के प्रकार Mulyankan ke prakar (types of evaluation in hindi)

मूल्यांकन एक महत्वपूर्ण उपकरण है जो किसी चीज़ की मान्यता या उपयोगिता का मूल्यांकन करता है। इस प्रक्रिया का उपयोग अलग-अलग क्षेत्रों में किया जाता है जैसे शिक्षा, व्यापार, सरकारी संस्थान आदि। अब बात करते है मूल्‍यांकन के प्रकार Mulyankan ke prakar के बारे मे।

मूल्यांकन के दो प्रकार होते हैं

  1. आंतरिक मूल्यांकन
  2. बाह्य मूल्यांकन।

आंतरिक मूल्यांकन कंपनी या संगठन के अंदर होता है जबकि बाह्य मूल्यांकन किसी अन्य संगठन या अधिकारिक निकाय द्वारा किया जाता है।

Mulyankan ke prakar
Mulyankan ke prakar

आंतरिक मूल्यांकन क्या है (internal assessment in Hindi )

आंतरिक मूल्यांकन वह मूल्यांकन होता है, जो किसी संगठन, कंपनी या संस्था के आंतरिक प्रक्रियाओं और कार्यों के मूल्यांकन को दर्शाता है। इसके अंतर्गत संस्थान की कार्यशैली, कर्मचारियों का ज्ञान, कौशल और योग्यता, कार्यस्थल का वातावरण, संगठन की संरचना, अनुभव और कार्यक्षमता जैसे मापदंड शामिल होते हैं। आंतरिक मूल्यांकन को स्व-मूल्यांकन भी कहा जाता है.

आंतरिक मूल्यांकन का मुख्य उद्देश्य संगठन की कार्यविधि, प्रक्रियाओं और उत्पादों की गुणवत्ता और प्रदर्शन को सुधारना होता है। इससे संगठन में कार्य करने वाले कर्मचारियों की योग्यता और कौशल भी बढ़ते हैं।

आंतरिक मूल्यांकन के प्रकार | Antarik Mulyankan ke prakar in Hindi

अंतरिक मूल्यांकन के विभिन्न प्रकार होते हैं। कुछ अधिक उल्लेखनीय प्रकार निम्नलिखित हैं:

  1. कर्मचारी की आंतरिक मूल्यांकन (Employee Appraisal) – यह एक प्रकार का मूल्यांकन है जिसमें कंपनी अपने कर्मचारियों की कार्यक्षमता, कौशल और प्रदर्शन का मूल्यांकन करती है। इससे कंपनी अपने कर्मचारियों के लिए विकास की योजनाएं बना सकती है और उन्हें मौके दे सकती है ताकि वे अपनी कौशल और कार्यक्षमता में सुधार कर सकें।
  2. संगठनात्मक विकास (Organizational Development) – संगठनात्मक विकास मूल्यांकन वह होता है जो संगठन की कार्यशैली और उत्पादकता का मूल्यांकन करता है। इसमें संगठन की धार्मिकता, दृष्टिकोण, लक्ष्य, संगठन की भूमिका और विभिन्न विभागों के बीच संवाद की सुविधा जैसे अन्य मापदंड शामिल होते हैं।
  3. संगठन के अंतर्निहित शक्तियों का विकास (Internal Resource Development) – इसमें संगठन की आंतरिक शक्तियों, जैसे कि कर्मचारियों की क्षमता और योग्यता, विभिन्न संसाधन।
  4. संसाधन प्रबंधन (Resource Management) – यह मूल्यांकन संगठन के संसाधन, जैसे मनुष्य, धन और समय का मूल्यांकन करता है। यह संगठन को उन संसाधनों के बारे में जानने की सुविधा देता है जो उसके पास हैं और जो उसे आगे बढ़ने में मदद कर सकते हैं।
  5. संसाधनों के अभाव का मूल्यांकन (Resource Scarcity Appraisal) – इसमें संगठन के विभिन्न संसाधनों के उपलब्धता का मूल्यांकन किया जाता है। इससे संगठन को उस संसाधन के अभाव का पता चलता है जिसकी उसे आवश्यकता है और जिसे वह उस समय उपलब्ध नहीं होता है।
  6. प्रबंधन अधिकारियों का मूल्यांकन (Management Appraisal) – इसमें व्यवस्थापकों और उनके प्रदर्शन का मूल्यांकन किया जाता है। इससे संगठन को यह पता चलता है कि उसके प्रबंधन अधिकारी कितने उत्कृष्ट हैं और उन्हें क्या विकास की आवश्यकता है।
  7. प्रदर्शन के मूल्यांकन (Performance Appraisal) – यह मूल्यांकन एक कर्मचारी के काम के प्रदर्शन का मूल्यांकन करता है। इसमें कर्मचारी की कौशल, कार्यक्षमता।
  8. विकास का मूल्यांकन (Development Appraisal) – इसमें कर्मचारियों की विकास योजना तैयार की जाती है और उनके विकास का मूल्यांकन किया जाता है। इससे कर्मचारी के कौशल और कार्यक्षमता को विकसित करने के लिए उचित उपाय योजना तैयार की जा सकती है।
  9. समान वेतन का मूल्यांकन (Pay Appraisal) – इसमें कर्मचारियों को उनकी पूरी जिम्मेदारी के आधार पर समान वेतन दिया जाता है। इसमें संगठन में समान काम करने वाले कर्मचारियों को समान वेतन दिया जाता है जो विभिन्न स्तरों या विभिन्न क्षेत्रों में हो सकता है।
  10. आश्रय और सुरक्षा का मूल्यांकन (Shelter and Security Appraisal) – इसमें संगठन के कर्मचारियों के लिए आश्रय और सुरक्षा की सुविधा का मूल्यांकन किया जाता है। इससे संगठन को यह पता चलता है कि उसके कर्मचारियों को उनकी सुरक्षा और आश्रय की आवश्यकता के लिए क्या करना चाहिए।
  11. उत्पादकता का मूल्यांकन (Productivity Appraisal) – इसमें संगठन के उत्पादकता के स्तर का मूल्यांकन किया जाता है।

बाह्य मूल्यांकन क्या है

बाह्य मूल्यांकन उस प्रक्रिया को कहते हैं जिसमें कोई व्यक्ति, संगठन, उत्पाद या सेवा की गुणवत्ता, उपयोगिता, उत्पादकता, मूल्य आदि को मापने या जांचने के लिए बाहरी संसाधनों का उपयोग करता है। इसमें विभिन्न मापन उपकरणों और तकनीकों का उपयोग किया जाता है जो विशेष विषयों की विशेषताओं को मापते हैं। इस प्रक्रिया में विभिन्न विधियों, उपकरणों और तकनीकों का उपयोग किया जा सकता है जैसे उपयोगकर्ता समीक्षा, सर्वेक्षण, उत्पाद का नमूना टेस्टिंग, मार्केटिंग रिसर्च आदि।

बाह्य मूल्यांकन के कुछ प्रकार

  1. विपणन का मूल्यांकन (Marketing Appraisal) – इसमें उत्पादों या सेवाओं के विपणन के पहलुओं का मूल्यांकन किया जाता है। इससे संगठन को यह पता चलता है कि वह उत्पादों या सेवाओं को किस तरह से विपणित कर सकता है।
  2. वित्तीय मूल्यांकन (Financial Appraisal) – इसमें किसी परियोजना या निवेश के लाभ और हानि का मूल्यांकन किया जाता है। इसमें निवेश के मूल्य, निवेश के लाभ, निवेश के हानि, लागत, रिटर्न आदि का मूल्यांकन किया जाता है।
  3. प्रभाव का मूल्यांकन (Impact Appraisal) – इसमें किसी परियोजना या निवेश के समाज, अर्थव्यवस्था, वातावरण, स्वास्थ्य, संसाधन, सामाजिक संरचना आदि पर उसके प्रभाव का मूल्यांकन किया जाता है।
  4. समाज का मूल्यांकन (Social Appraisal) – इसमें किसी परियोजना या निवेश के समाज के विकास और संवेदनशीलता का मूल्यांकन किया जाता है। इससे संगठन को यह पता चलता है कि उसके कार्यक्रमों और परियोजनाओं से समाज कैसे लाभान्वित हो सकता है।
  5. वातावरणीय मूल्यांकन (Environmental Appraisal) – इसमें किसी परियोजना या निवेश के पर्यावरण के प्रति उसके प्रभाव का मूल्यांकन किया जाता है। इससे संगठन को यह पता चलता है कि उसके कार्यक्रमों और परियोजनाओं से पर्यावरण कैसे प्रभावित होगा।
  6. तकनीकी मूल्यांकन (Technical Appraisal) – इसमें किसी परियोजना या निवेश की तकनीकी व्यवस्था, तकनीकी संभावनाएं, तकनीकी विवरण, तकनीकी लाभ आदि का मूल्यांकन किया जाता है।
  7. आर्थिक मूल्यांकन (Economic Appraisal) – इसमें किसी परियोजना या निवेश के आर्थिक प्रभाव, आर्थिक वृद्धि आदि का मूल्यांकन किया जाता है।
  8. संसाधन मूल्यांकन (Resource Appraisal) – इसमें किसी परियोजना या निवेश के संसाधनों के प्रति उसके प्रभाव का मूल्यांकन किया जाता है। इससे संगठन को यह पता चलता है कि उसके कार्यक्रमों और परियोजनाओं के लिए संसाधन कैसे प्रभावित होगा।
  9. संगठन का मूल्यांकन (Organizational Appraisal) – इसमें संगठन की व्यवस्था, प्रबंधन, विपणन, संसाधन आदि का मूल्यांकन किया।
  10. सामाजिक मूल्यांकन (Social Appraisal) – इसमें किसी परियोजना या निवेश के सामाजिक प्रभाव, समाज के लिए लाभ, समाज के प्रति उसके प्रभाव का मूल्यांकन किया जाता है।
  11. स्थानीय मूल्यांकन (Local Appraisal) – इसमें किसी परियोजना या निवेश के स्थानीय प्रभाव, स्थानीय समुदाय के लिए लाभ, स्थानीय आर्थिक विकास आदि का मूल्यांकन किया जाता है।
  12. विनियोजन मूल्यांकन (Implementation Appraisal) – इसमें किसी परियोजना या निवेश की विनियोजन की स्थिति, संभावित त्रुटियों का आकलन, कठिनाइयों आदि का मूल्यांकन किया जाता है।
  13. समीक्षात्मक मूल्यांकन (Ex-post Appraisal) – इसमें किसी परियोजना या निवेश के उत्पादन व सेवाओं के वास्तविक लाभ का मूल्यांकन किया जाता है।
  14. विवरणीय मूल्यांकन (Descriptive Appraisal) – इसमें किसी परियोजना या निवेश के लिए आवश्यक विवरण जैसे कि उद्देश्य, योजना, स्थिति, संसाधन, समय आदि का मूल्यांकन किया जाता है।

निष्कर्ष

इस प्रकार से इस बात का निष्कर्ष निकला जा सकता है कि मूल्यांकन एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जिसे उत्पादों, सेवाओं, संगठनों या व्यक्तियों के मूल्य और गुणवत्ता को मापने के लिए किया जाता है। यह आंतरिक या बाहरी हो सकता है और उपयोगकर्ता के अनुभव और भावनाओं के साथ-साथ विभिन्न प्रासंगिक तत्वों का ध्यान रखते हुए किया जाता है। इस प्रक्रिया का उद्देश्य स्पष्ट और समझौते युक्त मूल्यों का निर्धारण करना होता है जिससे उपभोक्ताओं को अपनी जरूरतों और बजट के अनुसार सबसे अच्छा उत्पाद या सेवा प्राप्त करने में मदद मिलती है।

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